जिंदगी में कोई चुनौती आये तो उसे मजबूती से सामना करना चाहिये...कहानी

एक बार की बात है| गांव में सूखा पड़ जाता है| सभी गांव वालो की फसल बर्बाद हो जाती है| सभी परेशान हो जाते है | और आपस में चर्चा करने लगते हैं| जरुर हमारे गांव में किसी ने पाप किये होंगे| जो भगवान बदला ले रहा है|” इस तरह कई चर्चा होने लगी| सभी तय करते हैं| चलो भगवान के दर्शन करने चलते हैं| वहां प्रार्थना करते हैं| हो सकता है बारिस हो जाये| और चल पड़े| सब अच्छे से हो जाता है| फिर सभी वापस लौटते हैं| तब उन्हें रास्ते में रात हो जाता है| उनकी गाड़ी घने जंगल से गुजरती है| सभी डरे होते हैं| उनके दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आने लगते हैं| एक के बाद एक समस्या होने लगती है | फिर अचानक बारिश होने लगती है| जोर से बिजली कड़कने लगती है| और बार-बार उनके गाड़ी पास बिजली गिरती है| सभी में चर्चा होने लगती है| आज किसी का आखरी दिन है| सभी अपनी सुरक्षा के लिये प्रार्थना करने लगते हैं| उसमे से एक बोलता है| आज किसी एक की मौत तय है| उसे गाड़ी से उतार दिया जाये| तभी हम बच सकते हैं| लेकिन उसकी पहचान कैसे हो| तभी उनमे से एक बोलता है| सभी एक-एक कर गाड़ी से उतरकर सामने के पेड़ को छूकर आयेंगे| जिसकी मौत पक्की होगी| उस पर बिजली गिर जायेगी| सभी एक-एक कर पेड़ को छूकर आने लगे| पहले भुवन, दूसरे में शामू, तीसरे में भीमा जाता है| सभी बच जाते हैं| आखरी बारी नत्थू की होती है| तो उसे लगता है| उसके वजह आज सभी जोखिम में फस गये हैं| और उदास हो जाता है| फिर वह खुद को दोषी मानकर सभी के सुख के प्रार्थना करते हुए| खुद को मौत सौपने के लिये| पेड़ को छूने जाता है| तभी गाड़ी पे बिजली गिर जाती है| और उसके सभी साथी मर जाते हैं| जिससे वह दुखी होता है | और उनके जीवन के लिये प्रार्थना करता है| जिससे सभी फिर जीवित हो जाते हैं, और नत्थू से माफ़ी मांगते हैं|

Posted on: Apr 26, 2019. Tags: ANUPPUR MP RAKESH KUMAR SONG STORY VICTIMS REGISTER

जातिवाद और छुवा छूत एक सामाजिक बुराई है...कहानी-

एक दिन एक पंडित को प्यास लगी| संयोगवश उसके घर में पानी नहीं था| इसलिये उसकी पत्नी पड़ोस के घर से पानी ले आई| पानी पीने के बाद पंडित ने पूछा कहां से लाई हो बहोत ही ठण्डा है|पत्नी ने बताया| कुम्हार के घर से| ये सुनकर पंडित चिल्लाने लगा, और बोला मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया| शूद्र कुम्हार के घर का पानी पिला दिया| पत्नी डर से कांपने लगी, और माफ़ी मांगी| शाम को जब पंडित खाने पर बैठा| तो देखा घर में खाने को कुछ नहीं बना था| पूछने पर उसकी पत्नी ने जवाब दिया| क्या बनाती जो अनाज पकाया था| उसे उगने वाला, कड़ाही को बनाने वाला सभी शुद्र थे| इसलिये सब फेक दिया | इतने में गुस्से से पंडित बोला पानी ही ले आओ| पत्नी बोली घड़ा फेक दिया| उसे शूद्र कुम्हार ने बनाया था| तब उसने कहा दूध ले आओ तो जवाब मिला| वो भी फेक दिया| उसे चमार शूद्र ने गाय से निकला था| उसने बोला दूध में कभी छूत लगती है क्या ? पत्नी बोली ये कैसी छूत है| जो पानी में लगती है| और दूध में नहीं लगती| इतने में वो परेशान होकर बोला खाट लगा दो आराम कर लूं| पत्नी बोली उसे भी तोड़कर फेक दिया| अब घर तोड़ना बाकी है| पंडित के पास कोई जवाब नहीं था |

Posted on: Apr 21, 2019. Tags: MP RAKESH KUMAR SONG STORY VICTIMS REGISTER

अपने मजे के लिये किसी को परेशान नहीं करना चाहिये...कहानी-

किसी जादूई देश में परियों की रानी रूही का अलिसान महल था| वह बहुत ही दयालु रानी थी| अपने महल में वे सभी का ध्यान रखती थी| सभी परियां एक दूसरे की मदद करती थी| किसी को परेशान नहीं करती थी| लेकिन उनके बीच एक नटखट और सरारती परी भी थी| जो हमेशा अपनी शरारतो से दूसरो को परेशान करती थी| एक दिन दो परियां बगीचे में पानी दे रही होती हैं| तब नटखट परी तृषा उनके पीछे जाकर चुपके से दोनों की चोटी एक दूसरे की चोटी से बांध देती है| जब दोनों परियां अलग-अलग दिशाओं में जाती हैं| तो उनके बाल खिच जाते हैं| जिससे दोनों रोने लगती है| ये देख तृषा बहोत खुश होती है| तब परियां तृषा पर गुस्सा करती हैं| लेकिन वह ये सब की नगर अंदाज कर चली जाती हैं| तृषा की शरारते दिनों दिन बढ़ती जाती है| एक दिन वह रसोई में मदद के बहाने पूरे खाने में बहुत नमक डाल देती है| जिस पर खाना पकने वाले को डाट पड़ती है| तब सभी तृषा की शिकायत करते हैं| जिस पर रानी परी योजना बनाकर उसे सबक सिखाती है| उसके बाद से तृषा को समझ आ जाता है कि अपने मजे के लिये दूसरो को परेशान नहीं करना चाहिए|

Posted on: Apr 15, 2019. Tags: ANUPPUR MP RAKESH KUMAR SONG STORY VICTIMS REGISTER

फागुन आता देखकर, उपवन हुआ निहाल...होली पर कविता-

जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से राकेश कुमार होली के त्योहार पर एक कविता सुना रहे हैं:
फागुन आता देखकर, उपवन हुआ निहाल-
अपने तन पर लेपता, केसर और गुलाल-
तन हो गया पलाश-सा, मन महुए का फूल-
फिर फगवा की धूम है, फिर रंगों की धूल-
मादक महुआ मंजरी, महका मंद समीर-
भँवरे झूमे फूल पर, मन हो गया अधीर...

Posted on: Mar 21, 2019. Tags: ANUPPUR MP POEM RAKESH KUMAR SONG VICTIMS REGISTER

फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी...छत्तीसगढ़ी फागुन गीत-

जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से राकेश कुमार एक छत्तीसगढ़ी फागुन गीत सुना रहे हैं:
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी-
संगी जहुंरिया मन मारय पिचकारी-
छोटे बड़े लईका मन देवय किलकारी रे-
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी-
हां संगी जहुंरिया मन मारय पिचकारी-
ले चल रे सैंया बनारस के खोर में-
कुछ भेद नइये रे तोर अउ मोर में...

Posted on: Mar 20, 2019. Tags: ANUPPUR MP RAKESH KUMAR SONG VICTIMS REGISTER

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