हमे भाषा सीखने के लिए कोई स्कूल की जरुरत नहीं होती, आपस में मित्रता बनाकर सीख सकते हैं...
ग्राम-ओरछा, पंचायत-इरपानार, ब्लॉक-कोयलीबेडा, जिला-उतर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से मोहन यादव के साथ गाँव के साथी प्रभु पद्दा जुड़े है, वे भाषाओ पर आपस में चर्चा कर रहे हैं प्रभु पद्दा गोंडी में बता रहे हैं कि चार भाषा जानते हैं प्रभु पद्दा किसी बंगला स्कूल में नहीं पढ़े हैं, गोरमेन्ट स्कूल में बंगाली के बच्चे आते थे|उन लोगों के साथ मित्रता बनाकर बंगाली भाषा सीखा हैं,और प्रभु पद्दा एक ही व्यक्ति था माडिया जाति से बाकि पूरे गोरमेन्ट स्कूल में बंगाली और छत्तीसगढ़िया लोग पढ़ते थे |प्रभु पद्दा ने वहीँ से बंगाली भाषा, छत्तीसगढ़िया भाषा, हिंदी भाषा सीखा हैं | तब से वे चार भाषा जानते हैं,इस प्रकार हमे भाषा सीखने के लिए किसी स्कूल की जरुरत नहीं होती है, आपस में मित्रता बनाने से भी सीख सकते है|
Posted on: Sep 19, 2018. Tags: CG GONDI KANKER KOELIBEDA MOHAN YADAV
आना मेरे गाँव तुम्हे मै दूंगी फूल कन्हेर के...कविता
ग्राम-फुरफुन्दी, विकासखण्ड-कोयलीबेडा, तहसील-पखांजूर, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से रेखा ताम्रकार, अनीता साहू, चांदनी साहू और तमन्ना साहू एक कविता सुना रहे हैं :
आना मेरे गाँव तुम्हे मै दूंगी फूल कन्हेर के-
कुछ कच्चे, कुछ पक्के घर हैं, एक पुराना तार है-
सड़क बनेगी सुनती हूँ, इसका नंबर इस साल है-
चढ़ते आना टीले ऊपर, कई पेड़ हैं बेर के-
बाबा ने था पेड़ लगाया, बापू ने फल खाए हैं...
Posted on: Sep 19, 2018. Tags: CG KANKER KOELIBEDA POEM SAPNA WATTI SONG VICTIMS REGISTER
किसान स्वर : हम लोग अब गाय बैल घर में नहीं रखते तो खेती के लिए गोबर खाद भी नहीं मिलता...
ग्राम पंचायत-हान्केर, तहसील-पखांजुर, विकासखंड-कोयलीबेडा, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर, (छत्तीसगढ़) से सुरेश बता रहे हैं कि उनके गाँव क्षेत्र में अधिकतर धान और मक्का का खेती किया जाता है, उसकी तैयारी वे जमीन की अच्छी तरह से जुताई करने के बाद, बीज की बोवाई करते हैं जिसमे वे मुख्य रूप से रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं, पहले लोग गाय, बैल घर में रखा करते थे जिससे उन्हें गोबर (खाद) मिल जाता था, लेकिन अभी वर्तमान में गाय को घर में ज्यादातर नही रखा जा रहा है इसलिए वे रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं, जिससे जमीन की उर्वरक शक्ति कम होती जा रही है, पहले लोग गोबर खाद का उपयोग करते थे उसमे तीन साल तक कोई खाद डालने की जरुरत नही होती थी, इसलिए अधिक मात्रा में गोबर खाद का उपयोग करना चाहिए जिससे फसल में अधिक उत्पादन के साथ-साथ जमीन की उर्वरक शक्ति भी नष्ट न हो...
Posted on: Sep 18, 2018. Tags: AMAR MARAVI CG KANKER KISAN KOELIBEDA SONG SWARA VICTIMS REGISTER
हमारे यहाँ गोंडी बोलने वाले शिक्षक आ जाये तो शिक्षा का स्तर सुधर सकता है, अभी बच्चे नहीं समझते...
ग्राम पंचायत-हान्केर, तहसील-पखांजुर, विकासखंड-कोयलीबेडा, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से बलराम कुलदीप, लवकुमार और सुरेश आचला सीजीनेट जन पत्रकारिता यात्रा के अमर मरावी को बता रहे हैं कि उनके गाँव क्षेत्र में अधिकतर लोग, बच्चे से बूढ़े सभी गोंडी अधिक बोलने वाले हैं, इनके गाँव के स्कूल प्राथमिक या माध्यमिक में ज्यादातर शिक्षक हिंदी, छत्तीसगढ़ी बोलने वाले हैं, वहां के स्कूल में गोंडी बोलने वाले शिक्षक नही है जिससे बच्चों के साथ बातचीत का आदान-प्रदान पूर्ण रूप से नही हो पाता है, इससे पढाई में भी परेशानियां होती है अगर कोई गोंडी बोलने वाले शिक्षक आ जाए तो प्राथमिक विद्यालय में अध्धयन के स्तर में काफी मात्रा में सुधर हो सकता है |
Posted on: Sep 17, 2018. Tags: AMAR MARAVI CG EDUCATION GONDI KANKER KOELIBEDA SONG VICTIMS REGISTER
विरल-विरल तुरी उमर चितोरी...गोंडी बाल गीत
ग्राम-पंचायत-बड़ेबेटिया, विकासखंड-कोयलीबेडा, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से स्कूल की कक्षा 3 की छात्रा कुमारी लिलिमा उसेंडी एक गोंडी गीत सुना रही हैं:
विरल-विरल तुरी उमर चितोरी-
तनी उम्र मार-मार चल चितोरी-
बेंड बाजा मोके पडला मू-
ओ बेंड बाजा-
विरल-विरल तुरी उमर चितोरी-
बेंड बाजा मोके पडला मू-
तनी उम्र मार -मार चल चितोरी...