फरिश्तों में ख्वाहिश नहीं, जानवरों में अक्ल नहीं...श्लोक
ब्लाक-मयोरपुर, तहसील-दुद्धी, जिला-सोनभद्र (उत्तरप्रदेश) से रामदीप भारती एक श्लोक सुना रहे हैं :
फरिश्तों में ख्वाहिश नहीं, जानवरों में अक्ल नहीं-
मगर इंसान में दोनों होती हैं-
अगर इंसान अक्ल को दबा दे तो वह जानवर हो जाए-
ख्वाहिश को दबा दे तो वह फरिश्ता हो जाए-
दुनिया की दौलत खुदा उसे ही देते हैं जिसे वह पसंद नहीं करते-
लेकिन ईनाम की दौलत उसे ही देते हैं जिसे वह पसंद करते हैं...