अच्छा खा और अच्छा सोंच, त्याग दे शर्म संकोच...कोरोना पर कविता-
जिला-राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व एक कविता सुना रहे हैं:
अच्छा खा और अच्छा सोंच-
त्याग दे शर्म संकोच-
कल तक चेहरा खुल्ला था-
आज पहना ले वस्त्र-
कोरोना से युद्ध करने का-
यही तो है एक शस्त्र-
एक दूजे से दूर रहो मार न दे कहीं चोंच-
अच्छा खा और अच्छा सोंच-
त्याग दे शर्म संकोच...
Posted on: Apr 20, 2020. Tags: CG CORONA POEM RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
जाते नहीं हैं काम पर, कोरोना के नाम पर...कोरोना पर कविता-
राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व कोरोना पर एक कविता सुना रहे हैं:
जाते नहीं हैं काम पर, कोरोना के नाम पर-
कोरोना, कोरोना-
बस यहाँ वहां कोहराम है-
पशु पक्षी तो आजाद विचरण कर रहे हैं-
किन्तु मनुष्य गुलाम है-
कोरोना के नाम पर आज कैसी सजा दे है-
आज हर कोई अपने घर में कैदी है...