अतिथि घर का वैभव है, प्रेम ही घर की प्रतिष्ठा है...कविता-
ग्राम पंचायत-पिंडरुखी, विकासखण्ड-बजाक, जिला-डिंडोरी (मध्यप्रदेश) से भारद्वाज मानिकपुरी एक कविता सुना रहे हैं:
अतिथि घर का वैभव है-
प्रेम ही घर की प्रतिष्ठा है-
वस्तु ही घर की शोभा है-
समाधान ही घर का सुख है-
सदाचार ही घर की शरुआत है-
ऐसे घर में सदा प्रभू का वास है...