मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित...कविता-
ग्राम-सिंगपुर, तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से ओमकार मरकाम एक कविता सुना रहे हैं :
मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित-
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ-
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मै अंकिचन-
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन-
थाल मै लाऊं सजाकर भाल जब-
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण...