जमीन वालों को बस इतनी जिंदगी दे दे...दो कवितायेँ
हल्द्वानी नैनीताल (उतराखंड) से इशान पत्र कुछ कवितायेँ सुना रहे हैं:
जमीन वालों को बस इतनी जिंदगी दे दे-
हसी बहारों को फूलों को जिंदगी दे दे-
वो सोच में भी अगर, कांप रूह कांप उठे-
मरे जमीर को बस इतनी जिंदगी दे दे-
“अपने देश की स्वाभिमान”
मैं वह लखीर हूँ, पत्थर की नही मिट सकता-
मैं का हौसला हूँ यू ही नही चुक सकता-
मैं तो डोर हूँ थामे है तिरंगे को-
लगा लो कोई भी बोली नही बिक सकता-