लॉक डाउन के कारण राशन की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं, राशन दिलाने में मदद करें...
ग्राम-अढाजन, सूरत (गुजरात) से शैलेन्द्र मेडे बता रहे हैं कि वे मध्यप्रदेश राज्य के बुरहानपुर जिले के बढ़ियारी गाँव के निवासी हैं और वे 2 साल से सूरत में रह रहे हैं, उनके पास राशन ख़त्म हो गया है, खाने पीने की कोई सुविधा नहीं है, पैसे भी ख़त्म हो गये हैं, लॉक डाउन के कारण राशन की व्यवस्था नहीं हो पा रही है, परिवार में 4 सदस्य हैं, वे सीजीनेट के साथियों से अपील कर रहे हैं कि अधिकारियो से संपर्क कर राशन की व्यवस्था कराने में मदद करें : संपर्क नंबर@9171973811. (164950)
Posted on: Apr 16, 2020. Tags: CORONA PROBLEM GUJRAT SHAILENDRA MEDE SONG SURAT VICTIMS REGISTER
स्वास्थ्य स्वर: बदलते मौसम में बच्चों को होने वाले सर्दी जुखाम के पारम्परिक नुस्खे...
डॉ दीपक आचार्य इस बदलते मौसम में बच्चों को होने वाली सर्दी जुखाम के पारम्परिक नुस्खे बता रहे है: मध्यप्रदेश के पातालकोट के चावलपानी गाँव है जहाँ के आदिवासी धनिया, जीरा और बज जिसे बजनाक भी कहा जाता है इन तीनों को मिला कर काढा बना लेते हैं और रात में खाना खाने के बाद देते हैं जिससे सर्दी खासी में आराम मिलता है.पातालपुर के चेम्पिपुर गाँव में बज के कंदे को बच्चों के मुंह में रख दिया जाता है जिससे छाती के बने कफ धीरे धीरे बाहर निकल जाता है.प्याज का रस और शहद भी सर्दी और खासी भी बहुत लाभदायक होता है, एक बड़ा चम्मच प्याज का रस लें और डेढ़ चम्मच शहद मिला कर चार घंटे रख दे फिर सर्दी जुखाम से पीड़ित बच्चों को पिलाएं काफी आराम मिलता है.पातालकोट के करेयाम गाँव के आदिवासी बाजरे की रोटी बनाते हैं और इसके साथ लहसुन, बैंगन और मेथी के सब्जी के साथ खाते हैं. इनका मानना है कि ऐसे भोजन करने से पेट कि गर्मी निकलती है जिससे सर्दी पर असर पड़ता है.डांग गुजरात के आदिवासी एलोवेरा के पत्तियों को भुन कर उसका रस निकालते हैं.इस रस में शहद और लौंग का चूर्ण मिला देते हैं. दिन में दो बार बच्चों को देने से काफी आराम होता है.