पर्व, विवाह और जीविका के लिये वनों का प्रयोग और उनका संरक्षण
धनेली कन्हार, उत्तर बस्तर कांकेर, छत्तीसगढ़ से विरेन्द्र कुमार मार्गीया बता रहे हैं, आदिवासी सामुदाय वनों से अपनी जीविका का साधन एकत्र करते थे| प्रकृति में जो फल होते हैं, जिसे सामुदाय उपयोग करता है उसके नाम पर एक पर्व मनाया जाता था, आज भी ये परम्परा देखने को मिलती है| विवाह के लिये निवासी जंगल से जामुन पेड़ की डाली, डूमर का फल का उपयोग करते हैं, मण्डप के लिये चार के पेड़ और महुआ के पेड़ का उपयोग करते हैं| पेड़ो के संरक्षण के लिये विवाह के समय इनके पौधे लगाये जाते हैं और उन्हें बड़ा करने तक उसकी देख रेख भी जाती है, जिससे पेड़ो का केवल दोहन न हो उनका संरक्षण भी हो|