डरा सहमा सा बेटा है एक नन्हा सा...कविता-
बड़वानी (मध्यप्रदेश) से सुरेश कुमार एक कविता सुना रहे हैं:
डरा सहमा सा बेटा है एक नन्हा सा-
पक्षी अपने पंखो को दबाये अपने घोसले में-
माँ उसकी आकर सिखाती है उड़ने की कला-
पर वह डरा-डरा सा विश्वाश नही है अपने पंखो पर-
देती है माँ हौसला उसे कोशिश तो कर...(AR)