कबीरदास, रहीम जैसे कवियों की एक दोहे...
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेन्द्र गंधर्व कबीरदास, रहीम जैसे कवियों की एक दोहे सुना रहें हैं:
“रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत. काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत.”
अर्थ:- बुरे लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं, और न तो दुश्मनी. जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता ऐसे व्यक्ति अपने ही स्वार्थ की सोचता हैं. RK