वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है...गीत-
ग्राम-पर्री, तहसील-लखनपुर, जिला-सरगुजा (छत्तीसगढ़) से संदीप दास महंत एक गीत सुना रहे हैं :
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है-
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी क़रीब है-
झुकी हुई निगाह में कहीं मेरा ख़्याल था-
दबी दबी हँसी में इक हसीन सा गुलाल था-
मैं सोचता था मेरा नाम गुनगुना रही है वो-
ना जाने क्यूँ लगा मुझे के मुस्करा रही है वो-
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है...