कंदा कुसला तो भोजन लाही रे, चंपा पडिगे हे अकेल...सरगुजिहा बाल गीत-
ग्राम-भरदा, पोस्ट-कोटया, तहसील-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से रामसिंह टेकाम सरगुजिहा भाषा में एक कहानी और गीत के माध्यम से एक बच्चे की व्यथा को सुना रहे हैं :
कंदा कुसला तो भोजन लाही रे, चंपा पडिगे हे अकेल-
माता पिता अजनवईयापुर में, हंसा हर फिरथे अकेल-
फेको चला रोड वन में कारी कुवरी-
एगा रघुवर हर बीने
फिर चला रुण्ड बन में कारी कुहेर-
माता-पिता बनवास लिखेंन हो लिखीन बनकी आवहेल...
शीसा तो मुनि हर जता लोके-
कन्दा कुसला तो भोजना लागी रे चंपा पड़े है अकेल...