फसल कटी खुशबु आसमान, सबके घर में हुआ अनाज...बाल कविताएं
किलकारी बालकेंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार) से शशी कुमारी एक कविता सुना रही हैं:
फसल कटी खुशबू आसमान,सबके घर में हुआ अनाज-
इसमें कोई भेद नहीं इसको कोई खेद नहीं-
खुद पूजा करे या पढ़े नमाज, सब कोई खाता यही अनाज...
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एक था राजा का बेटा, दो दिन बिछावन पर लेटा-
तीन डॉक्टर दौड़े आये, चार दवा की पुडिया लाये-
पांच मिनट उसको समझाए, छः छः घंटे बाद पिलाये-
सातवे दिन वे आँखे खोले, आठवे दिन माता से बोले-
नवे दिन कुछ हिम्मत आई, यही तो गिनती सीख लो भाई...