ए दादा बचवा दोपागुरितोल हो....कुडुक गीत
ग्राम-मुरका, जिला-बलरामपुर, छत्तीसगढ़ से सैलेस्टीना कुडुक भाषा में एक गीत सूना रही हैं, गीत में पुराने जमाने के बाजार व्यवस्था के विषय में बताया जा रहा है कि कैसे व्यापारी लोग उस समय घोड़े पर लादकर हल्दी-मिर्ची-मसाला-नमक इत्यादि बेचा करते थे:
चावल-चावल गुपी तू गोलवा मएल हो-
ए दादा बचवा दोपागुरितोल हो-
निया दारे सुरिया की तानक हो-
ए दादा बचवा दोपागुरितोल हो...