आज बिक रहा है इंसान, इस मजहबी दीवार की ओट में...
ग्राम-थकतला, विकासखंड-सोण्डवा, जिला-अलीराजपुर, मध्यप्रदेश से सूरज जमरा एक साथी मंगल सिंह से कविता रेकॉर्ड करा रहे है:
आज कट रहा है इंसान, इस मजहबी दीवार की ओट में-
आज बिक रहा है इंसान, इस मजहबी दीवार की ओट में-
कब टूटेगी यह दीवार मजहबी, कब बनेगी दीवार एकता की अजनबी-
अरे ! किसी का सिन्दूर मिट रहा है, इस मजहबी दीवार की ओट में-
अरे ! किसी का लाल तड़प रहा है, इस मजहबी दीवार की ओट में-
अरे कोई हिन्दू नहीं कटा, अरे कोई मुस्लिम नहीं कटा-
और न ही कटा कोई सिख या ईसाई, आज कट रहा है इंसान और सिर्फ इंसान-
इस मजहबी दीवार की ओट में-
कौन कहता है हम आज़ाद हो गए,अरे हम तो आज भी गुलाम बनें बैठे हैं-
इस मजहबी दीवार की ओट में, और राजनीति का यह नजारा भी देख लो-
आ जाते हैं हमारे नेता वोट मांगने-
इस मजहबी दीवार की ओट में...