दुनिया क्यों भटकती है , दिनरात अँधेरे में...गीत
ग्राम-पनवारखुर्द, तहसील-त्योंतर, जिला-रीवा (म.प्र.) से मनुलाल वर्मा एक गीत सुना रहे हैं :
दुनिया क्यों भटकती है , दिनरात अँधेरे में ...२
गरीबों की बारात है, दिनरात अँधेरे में!!
दुनिया क्यों भटकती है , दिनरात अँधेरे में
इस दुनिया में दो गरीब हैं , एक कन्या और एक गौ ...२
दुनिया क्यों भटकती है , दिनरात अँधेरे में
कन्या को चाहे जहाँ भेज दो, दिन रात अँधेरे में !!
दुनिया क्यों भटकती है , दिनरात अँधेरे में
दिनरात अँधेरे में ...