किसीम-किसीम के नवा-नवा धान आगे, ओला खाके गवाबो प्राण...छत्तीसगढ़ी कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ीयारी एक कविता सुना रहे है:
किसीन-किसीन के नवा-नवा धान आगे ओला खाके गवाबो प्राण-
सचाई गुरमटिया बाशा भोर कि जमो ला लागिस रोग-
दुबराज भाढा दुबराज लक्ष्मी येमन ला छोड़ीन आज के लोग-
सफरी भाढा सफरी जो फुल ओला हम गहन भूल-
तुलसी फुल तुलसी मंजरी गुरमटिया ओहर कहा चल गिस यार-
बुढा बूढी कूड़ा खीरा साग ओला होगिस मलेरिया बुखार-
किसीन-किसीन के नवा-नवा धान आगे ओला खाके गवाबो प्राण...