वनांचल स्वर : वन समितियां बैगा आदिवासियों से वनोपज समर्थन मूल्य में नहीं खरीद रही हैं...
जिला-कवर्धा (छत्तीसगढ़) से अनिल बामने बता रहे है कि छार, चिरोंजी, महुआ, लाख, हर्रा बेहडा और भी बहुत सारे वनोपज है जो बैगा आदिवासी लोग संग्रहित करते है और उसको बेचकर अपना जीवन यापन करते है. उसके सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य भी घोषित किया है| लेकिन उस समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं कर रहे है| आदेश के बाद भी वन समिति नहीं खरीद रहे है. और बिचौलिए चिरोंजी एक किलो शकरकंद या एक किलो आलू या कनकी ( टूटा चावल) उसके बराबर वजन में दिया जाता है बिचोलिए उसी चिरोंजी को लाकर समिति में बेचते है और समर्थन मूल्य का चेक लेकर मोटी कमाई कर रहे है| बामने@9977161570.