माँ सवेदना है, भावना है एहसास है, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है...कविता
ग्राम-कूकदूर, तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से मिथिलेश माणिकपुरी ओम व्यास की माँ के उपर एक कविता सुना रहे है:
माँ सवेदना है, भावना है एहसास है, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है-
माँ रोते हुवे बच्चों का खुशनुमा पालना है, माँ मरुस्थल में नदी या मीठा झरना है-
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है, माँ पूजा की थाली है, मन्त्रो का जाप है-
माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है, माँ ममता की धारा है, गालो पर पप्पी है-
माँ बच्चों के लिए जादू की झप्पी है, माँ झुलसते हुए दिनो में कोयल की बोली है-
माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिन्दूर है, रोली है, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है...