नन्ही-नन्ही बूंदे बनकर, आसमान में तू छाई...कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ीयारी कविता सुना रहे है:
नन्ही-नन्ही बूंदे बनकर,आसमान में तू छाई-
रिमझिम-रिमझिम बरसकर, धरती को तूने नहलाई-
बारम्बार वर्षा बनकर, धरती की प्यास बुझाई-
धरती माँ की प्यास बुझाकर, नदी नाला तूने बहाई-
धरती में हरियाली लाकर, सबका भूख प्यास मिटाई-
तू हितकारी उपकारी, तू धरती की महतारी-
तेरी दया से सब कुछ मिलता, धरती सबका है महतारी...