वक्त का ये परिंदा रुका है कहाँ, मै था पागल जो इसको बुलाता रहा...गजल
ग्राम-भेड़ाघाट, जिला-जबलपुर (मध्यप्रदेश) से सतीष कुमार एक गज़ल गीत सुना रहे है :
वक्त का ये परिंदा रुका है कहाँ, मै था पागल जो इसको बुलाता रहा-
चार पैसे कमाने मै आया शहर, गाँव मेरा मुझे याद आता रहा-
एक दिन में बनूँगा बड़ा आदमी, ये तस्बुर मुझे गुनगुनाता रहा-
पाठशाला से मै जब लौटता घर, अपने हाथों से रोटी खिलाती थी माँ-
वक्त का ये परिंदा रुका है कहाँ, मै था पागल जो उसको बुलाता रहा-
चार पैसे कमाने मै आया शहर, गाँव मेरा मुझे याद आता रहा...