वीरां हैं मेरी शाम ,परेशां मेरी नजर...गजल गीत
सुनील कुमार मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से गजल सुना रहे है:
वीरां हैं मेरी शाम ,परेशां मेरी नजर-
अच्छा हुआ की तुम न हुए मेरे हमसफर-
कहीं सदा नहीं की जिसे जिंदगी कहूं-
मुद्दत से हैं खामोश मेरे दिल की रहगुजर-
तेरे बगैर कितनी फुर्सद हैं बज्में शेर-
ऐ दोस्त अब पढ़ूं मैं गजल किसको देखकर-
जालिब मुझे तो उनके गरीबां की फिक्र हैं-
जो हंस रहे हैं मेरे गरीबां के चाक पर...