सारे अक्षर पढ़ती जा, आगे-आगे बढ़ती जा...बेटियों पर गीत
प्रदीप जिला-अलीराजपुर (मध्यप्रदेश) से बेटियों पर आधारित पर गीत सुना रहे हैं:
सारे अक्षर पढ़ती जा,आगे-आगे बढ़ती जा-
शहरों में और गांव मे, आजादी की छांव में-
नये इरादे गढ़ती जा, आगे-आगे बढ़ती जा-
क्यों जुल्मों को सहती हैं और क्यों पिछे रहती हैं-
हर शोषण से लड़ती जा, आगे-आगे.
तू भारत की सीढ़ी हैं ये विधा की सीढ़ी हैं-
इस सीढ़ी पर चढ़ती जा ,आगे-आगे-
इन रूढ़िवादी चालो पर,हर शोषक के गालो पर-
खूब तमाचे जड़ती जा, आगे-आगे...
ये जीवन तेरे बिगाड़े ना,और तू जड़ से उखड़े ना-
इतनी गहरी बढ़ती जा, आगे-आगे....
तू साधन कर ले रक्षा के,पंख लगा के शिक्षा के-
उड़ती जा बस उड़ती जा, आगे-आगे...