कुर्सी के चक्कर में भईया न आना...कविता
सोनाली राजपूत ग्राम-रामपुर,विकासखंड-ढीमरखेड़ा,जिला-कटनी, मध्यप्रदेश से एक कविता सुना रही है:
कुर्सी न होती तो किस्से न होते-
मेरे देश के इतने हिस्से न होते-
कुर्सी न होती तो ईमान न होता-
आज कोई आदमी बेईमान न होता-
कुर्सी न होती तो दंगे न होते-
लीडर कभी भिखमंगे न होते-
कुर्सी ने भाई से भाई लड़ाए-
कहीं रात-दिन सबने आंसू बहाए-
बड़ा ही सरल है ये कुर्सी का धंधा-
मगर सुनने पर है गले का फंदा-
पते की बात यह सबको बताना-
कुर्सी के चक्कर में भईया न आना...