बात पुरानी से दो कदम मै तो चल नहीं सकता हूँ...गजल-
निकेत शर्मा (पंजाब) से एक गजल सुना रहे हैं:
चंद कलि के मुस्कुराने से लख्म जागे-
बात पुरानी से दो कदम मै तो चल नहीं सकता हूँ-
तुम मिल का किसी जाहाने से हम तेरे-
शहर आये हैं मुशाफिर के तरह-
चंद कलि के मुस्कुराने से लख्म जागे...