पिया हलाहल जगतहित कंठ कर रहा नील...प्रार्थना-
बिहार से शिवशंकर उपध्याय एक गीत सुना रहे हैं:
पिया हलाहल जगतहित कंठ कर रहा नील-
छोड़ा है किस वैर से रही सभ्यता लील-
बोल बम कौन कहेगा उपासक कहाँ रहेगा-
लहर पूतना का पिया अपनी रक्षा हेतु-
छोड़ा हम सब के लिये कृष्ण कोरोना के दूत-
सूर्य की आंखे फोड़ी सूर्य के पाक क्यूँ छोड़ी...(AR)
Posted on: Jun 08, 2021. Tags: BIHAR SHIV SHANKAR UPADHYAY
मधुबाला संग रति रमण किया...कविता-
बिहार से शिव शंकर एक कविता सुना रहे हैं:
मधुबाला संग रति रमण किया-
किसने संसार का भ्रमण किया-
कर मध्य पान भोगा सर्वस्त्र-
जो श्रमित विवस पर श्रमित विवस-
कोई प्रयोग शालाओ अफवाओं की ज्वालाओं में...(AR)
Posted on: Jun 06, 2021. Tags: BIHAR POEM SHIV SHANKAR
चले विश्व गुरु अर्थ व्यवस्था दारू पर...गीत-
बिहार से सीजीनेट श्रोता शिवशंकर एक गीत सुना रहे हैं:
आम न जाता आज घास को झाड़ू पर-
चले विश्व गुरु अर्थ व्यवस्था दारू पर-
अब कीचड़ में कमल नही मदिरा में है-
पंजे का बल बोतल नशा सिरा में है-
मर्द की छोड़ो गौर करो मेहरारू पर...(AR)