धरती दाई की जय जोहार...धरती गीत
रूपलाल मरावी, भगतपारा, ग्राम पंचायत-ढूमाडांड, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से धरती माँ पर आधारित एक गीत गा रहे हैं :
धरती दाई की जय जोहार-
सुनो माता हमे पुकार-
आंधी को रोकने के लिए तूफ़ान बनूँगा-
धरती दाई से खेले-कूदे, फले-फूले बढ़े हैं-
धरती माता सब को अन्न खिलाये-
आदिवासी हर मोड पे बलिदान देने के लिए तैयार-
धरती दाई की जय जोहार...
Posted on: Jan 01, 2018. Tags: Ruplal Marawi SONG VICTIMS REGISTER
डुग डुगा बजा बजे मोर जीवा ख़ुशी होए...विवाह गीत
रूपलाल मरावी ग्राम-धुमाडाड़, विकासखण्ड-प्रतापपुर, जिला – सूरजपुर छत्तीसगढ़ से हैं आज उनके साथ में गाँव की महिलाएं है जो एक विवाह गीत सुना रहे हैं:
डुग डुगा बजा बजे मोर जीवा ख़ुशी होए-
डुग डुगा बजा बजे मोर जीवा ख़ुशी होए-
कन्या कुमारी रेआ करालो पोसे...
Posted on: Feb 22, 2017. Tags: Ruplal Marawi
आपका स्वास्थ्य आपके मोबाइल में : रंगैनी जड़ी से दर्द और मलेरिया का इलाज़
रूपलाल मरावी आज ग्राम गोविंदपुर सूरजपुर छत्तीसगढ़ में माता राजमोहनी के दरबार में सत नदी के किनारे चल रहे वार्षिक मेले में पहुंचे है जहां इनकी मुलाक़ात एक वरिष्ठ दादा से हुई है जो पहाड़ी सामरी पाट इलाके से आए हैं और वे लोगों को एक जड़ी के बारे में बता रहे हैं, उनका कहना है कि इस रंगीनी जड़ी को पानी के साथ पीस कर मिला लेनें के बाद जहाँ दर्द है वहां लगा ले और उस पीसी हुई जड़ी के एक-दो बूंद पी भी लें, इस जड़ी का उपयोग मलेरिया बुखार को ख़त्म करने के लिए भी किया जाता हैं | दादा बता रहे हैं कि वे इस जड़ी के बारे में बताने के लिए मेले में आते हैं और लोगों को घर वापस जाकर इसका उपयोग करना चाहिए यह जड़ी उनके गाँव जंगल में भी मिलता है. रूपलाल मरावी@7697080920
Posted on: Feb 13, 2017. Tags: Ruplal Marawi
राम कोला राम कोला गोभिनपुरी मेला...आदिवासी मेला गीत
रूपलाल मरावी और उत्तर प्रदेश के जय सिंह संत नदी में पूजा के सिलसिले में आये हुए हैं और उसके बारे में एक गीत सुना रहे हैं:
राम कोला राम कोला गोभिनपुरी मेला-
राम कोला राम कोला गोभिनपुरी मेला-
सता नदी भोगा राम,सता नदी भोगा राम-
राम कोला राम कोला गोभिनपुरी मेला...
Posted on: Feb 12, 2017. Tags: Ruplal Marawi
सीजीनेट बुल्टू रेडियो पर फिर चले आई गएल रे...कविता
रूपलाल मरावी ग्राम पंचायत-धुमाडांड़, विकासखण्ड प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर छत्तीसगढ़ से सीजीनेट बुल्टू रेडियो पर एक कविता सुना रहे हैं:
हो हो हो मै तो आई गईंन भाई में तो आई गईंन रे-
सीजीनेट बूल्टू रेडियो पर फिर चले आई गएल रे-
सीजीनेट में मिलते है साथी गोडवाना के, विचार साथी गोडवाना के रे भाई हो-
एक साथ में रहते है मिल जुलकर रे भाई एक समान में तो आई गएल रे-
हमर साथी आएल महावीर, सीता,गीता धनसाइ भाई मरावी आई गएल रे-
सीजी नेट बूल्टू रेडियो पर फिर चले आई गएल रे...