कभी माखन चुरा लिया...गीत
ग्राम-जलपुर, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से दीनानाथ पटेल एक गीत सुना रहे हैं-
कभी माखन चुरा लिया, कभी पर्वत उठा लिया-
ओ लल्ला रे ये क्या गज़ब किया-
मेरे कान्हा ये क्या गज़ब किया-
ये क्या गज़ब किया मेरे कान्हा मुझको डरा दिया-
कभी तुझको शक होता तु मेरा लाल नहीं है-
है कोई अवतारी तु ये मेरी बात सही है-
इंद्रा से रक्षा के खातिर, तुमने पर्वत उठा लिया-
कभी माखन चुरा लिया...
Posted on: Jun 25, 2022. Tags: CHHATTISGARH DEENANATH PATEL JALPUR RAIGARH SONG
त्यौहार हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है, बीते पलों की याद दिलाती है...काव्य
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से एक मनकाव्य सुना रहा है:
आज गाँव शहर में चहल-पहल और पूर्णिमा है |आज रक्षाबंधन का दिन वर्ष में एक ही बार आता है |इस दिन बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधकर भाई के लम्बी उम्र का कामना करती है |लडकियां नया पोशाग पहनकर इधर से उधर घूमते रहे हैं| जगह-जगह राखियों और साड़ियों का दूकान सजा है | बहन राखियां और मिठाइयां खरीद रहे हैं|भाई राखी के बदले पैसे और उनकी रक्षा के लिए आशीर्वाद देकर बहन का मन जीत लेता है |इसलिए त्यौहार हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है| क्योंकि यह बीते पलों की याद दिलाती है|
Posted on: May 23, 2019. Tags: CG KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH CHHATTISGARH SONG VICTIMS REGISTER
जीवन की नैया है बड़ा कमजोर, टूट न जाये लगाओ न जोड़...
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़, (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहा है:
जीवन की नैया है बड़ा कमजोर,
टूट न जाये लगाओ न जोड़,
पकड़ी कलाई, समझ कमजोर,
तोडना न सैयां, बंधा हुआ डोर,
खनकती है घुंगरू बंधी है जोड़,
टूट जाये जोड़ी, बिखर जाये ढोर...
Posted on: May 20, 2019. Tags: CG CHHATTISGARH KANHAIYALAL PADIYARI RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
आया ऋतु राज वसंत, नौ पालो की लायी हरयाली-कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक कविता सुना रहे हैं:
आया ऋतु राज वसंत,
नौ पालो की लायी हरयाली,
संघ में लाया ख़ुशी का त्यौहार,
रंग गुलाल की थी होली,
बज रहे थे ढोल नगारा,
सभी का मुख का रंग लाली...
Posted on: May 15, 2019. Tags: CG CHHATTISGARH KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
मंद बन मंद, खुशबु बिखेर रहे थे होकर खुश बगियाँ...कवित|
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक कविता सुना रहे हैं|
मंद बन मंद, खुशबु बिखेर रहे थे होकर खुश बगियाँ,
रंग बिरंगे फूल खिली थी,
आकर डाली में नौ घड़ियां,
आज तू राज्यवसन कर रहा था उपकार,
फूलों की डाली को तू लुटा रहा था अपना प्यार,
मधु मखिया इतरा रहे थे भरपेट मधु पान कर ...