वनांचल स्वर : पुराने ज़माने में जब धान कोदो पैदा नहीं होता था लोग महुआ आदि ही खाते थे...

ग्राम-पेंडारी, ब्लाक-वाड्रफनगर, जिला-बलरामपुर (छत्तीसगढ़) से ब्रेजलाल कुशवाह बता रहे है कि उनका गाँव जंगल के किनारे बसा हुआ है वहां से उनको जलाऊ लकड़ी मिलता है, आंवला, तेंदू, छार, बेलवा भी मिलती है पर्याप्त मात्रा में साल की लकड़ी मिलती है और उसके अलावा महुआ भी मिलता है उसका उपयोग दारु बनाने और उसको पीसकर लाटा बनाकर भी खाया जाता है और ढेकी से कूटकर लड्डू बनाकर सुखाया जाता है और फिर खाया जाता है| पुराने ज़माने जब धान कोदो पैदा नहीं होता था उस समय लोग महुआ खाकर जीवित रहते थे| महुआ का उपयोग आज भी किया जाता है. बाबूलाल नेटी@9669083404.

Posted on: Jun 07, 2018. Tags: BRIJLAL KUSHWAH SONG VANANCHAL SWARA VICTIMS REGISTER

Recording a report on CGNet Swara

Search Reports »


YouTube Channel




Supported By »


Environics Trust
Gates Foundation
Hivos
International Center for Journalists
IPS Media Foundation
MacArthur Foundation
Sitara
UN Democracy Fund


Android App »


Click to Download


Gondi Manak Shabdkosh App »


Click to Download