हम तो आदिवासी, हम तो हैं मूलनिवासी, धरती के सेवा करे वाला...सरगुजिया लोकगीत
ग्राम- देवरी, जिला- सूरजपुर, छत्तीसगढ़ से कैलाश सिंह पोया एक सरगुजिया लोकगीत प्रस्तुत कर रहे हैं:
हम तो आदिवासी, हम तो मूल हैं निवासी-
धरती के सेवा करे वाला-
हम संगी रे आदिवासी, मूलनिवासी-
धरती के सेवा करे वाला रे...
उबड़-खाबड़ धरती, पलेन-समतल बनाए-
उबड़-खाबड़ धरती...
नांगर जोत-जोत के यानवु बजाए...संगी रे...
हम तो आदिवासी, मूलनिवासी...
मूल हैं निवासी, धरती के सेवा ला करथन-
हम हैं मूलनिवासी धरती के सेवा करथन – कुटकी-कोदो-धान औ बोवे सावां – कोइला खाईके हमर, पीके ताड़ी पावां – संगी हमरे मूलनिवासी-
धरती के सेवा करवइया...