झारखण्ड की शिक्षा व्यवस्था...एक कविता
11 बजे तक खुल पाता है जब सिर्फ स्कूल का ताला
साफ-सफाई होने तक आ जाता है अखबारवाला
फिर शिक्षक अखबार में रम जाते हैं
और बच्चे मध्यान्ह भोजन की आस में लग जाते हैं
अटेंडेन्स में जब बजते हैं बारह
तब जाकर सुनाई पड़ता है प्रसेंट सर का नारा
खेल -खेल में बजता है एक
पूरा नहीं हो पाता है क, ख, ग, घ, का भी लेख
कुछ शिक्षक लेते हैं थोड़ी सी जम्हाई
तब तक पता चलता है
घड़ी की सुइयां एक से दो पर हैं आई
जब तक बजते हैं दो से तीन
पूरा हो जाता है स्कूल का रूटीन
फिर बच्चे हो जाते हैं -एक, दो , तीन
शिक्षक गिनते रहते हैं एक-एक दिन.