तैहर का भुलावे संगवारी हो पड़ गेल अकाल तैहर का भुलाबे...
रूपलाल मरावी जिला सूरजपुर छत्तीसगढ़ से एक गीत सुना रहे:-
तैहर का भुलावे संगवारी हो पड़ गेल अकाल तैहर का भुलाबे,
तैहर का भुलाबे संग वारी हो पड़ गेल अकाल तैहर का भुलाबे
पानी बिन बारी हरियाली अधूरा हो गई ना,
पानी बिन बारी हारियाली अधूरा हो गई ना
पुरुष बिना नारी सिंगार अधूरा हो गई का भुलाबे,
का भुलाबे हो संगवारी...