सूरज के आते भौर हुआ लाठी ले जिनका शोर हुआ...नागपंचमी कविता-
जिला-राजनंदगाँव छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गन्धर्व आज नागपंचमी का पर्व है, कई लोग उपवास करते है नागदेवता को दूध पिलाते है और कामना करते है कि उनके जीवन में सुख शांति रहे है, पहले तो कुश्ती हुआ करती थी स्थान-स्थान में और आज भी हुआ करती है| उसी सम्बंधित एक कविता सुना रहे है :
सूरज के आते भौर हुआ-
लाठी ले जिनका शोर हुआ-
यह नागपंचमी झम्मक झम-
यह ढोल डामाका झम्मक झम-
मल्लो की जब टोली निकली-
चर्चा निकली फैली गली-गली...