शरण में जीवन जो बिताऊ ने- शरण मा तोरे आओ ने...लोक गीत-
सीजीनेट के साथी प्रदीप रैदास एक बुंदेली लोकगीत सुना रहे हैं:
शरण में जीवन जो बिताऊ ने-
शरण मा तोरे आओ ने-
कृपा बस अपनी मईया की चाऊ ने-
शारदा भवानी तुम हो माँ शेरा वाली-
तुमी मात वैष्णो हो शारदा हो काली-
आशा लगी है मईया, आशा न तोडियो-
जग रूठे मईया मोरी तुम न माँ रुथियो...