जियत जागत मन के बाजे, धाम बरोबर होथे...कविता-
ग्राम-कुसमुसी, ब्लाक-भईयाथान, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से ऋतू पैकरा और बिंदिया पैकरा एक कविता सुना रहे हैं :
जियत जागत मन के बाजे, धाम बरोबर होथे-
एक सन आजादी के सौ जनम बरोबर होथे-
जेखर चेथी मा जुड़ा कस माढे रथे गुलामी-
जेन जोहारे बैरी मन ला घोलंड के लामा लामे-
नाव ले जादा जग मा ओखर होथे के बदनामी-
अइसन मन के जिंदगी बेशरम बरोबर होथे...