मैं इस देश का सबसे पुराना वासी हूं, मैं आदिवासी हूं...एक कविता
ये देश जो कभी विश्वगुरु था
जो भविष्य में महाशक्ति बनने की डींग हांकता है
जो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है
मैं उस देश का सबसे पुराना वासी हूं
मैं आदिवासी हूं
तुम मेरा घर बार बार जलाते हो
मैं इस राख में भारत का संविधान ढूंढ रहा हूं
मैं इस राख में भारत का धर्म ढूंढ रहा हूं
मैं इस राख में भारत का लोकतंत्र ढूंढ रहा हूं
आओ इससे पहले कि तुम
अपने लोकतंत्र, धर्म और संविधान को पूरी तरह जलाकर खाख कर दो
मेरे साथ मिलकर इस राख में इससे तलाशो
इस राख में जितना मिल जाए
उसे सम्हालो
जितना इस राख में बचा है उसे उठा लो
अपने बच्चों के लिए
हिमांशु कुमार