आपका स्वास्थ्य आपके मोबाइल में : पीलिया का घरेलु उपचार
माला धुर्वे, ग्राम-उभेगाँव, जिला-छिंदवाडा, (म.प्र.) से, कनेर के वृक्ष के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दे रही है इसे देहाती भाषा में इंद्राउन भी कहते है, यह पेड़ अधिकांशतः जंगलों में पाया जाता है, इसके फल गोल होते हैं, जो पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं इस पेड़ के फलों को हम वर्षा ऋतू में प्राप्त कर सकते हैं अधिकतर ग्रामीण लोग इसको घरों में लगाकर, इस फल को घरों में बांध देते |
पीलिया में प्रयोग करने की विधि-कनेर के फल के दो बीज को आग में भून कर, गाय के घी में लगातार सात दिनों तक प्रयोग करने पर पीलिया रोग में आराम मिलता है |
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